"The Yawning Guard," a Poem in Hindi by Vishwanath Prasad Tiwari, Translated by Kalpna Singh-Chitnis
The Yawning Guard
Don’t wake him uphe is dreaming,
children are returning into his dreams,birds are singing,rainbow is rotating its colors andthe Flamboyant tree is drifting flowers.
Don’t wake him uphis dreams are restricted,
in one doze, he will siphon the cosmos,and with one gentle step, he willcrush his palace made of glass.
He is sleeping like an angeldon’t wake him up,
he will bounce back andstand straight up like a treealert and readyto shoot anyone.\
ऊंघता संतरी
उसे मत जगाओवह सपने देख रहा है
बच्चे लौट रहे हैं उसके सपने मेंपक्षी चहचहा रहे हैं उसके सपने मेंबदल रहे हैं इन्द्रधनुष के रंग उसके सपने मेंझर रहे हैं गुलमोहर के फूल उसके सपने में
उसे मत जगाओउसकी नींद पर पाबन्दी है
अभी एक झपकी में वह लूट लेगा सारा ब्रह्माण्डअभी एक हल्का सा पदचापचकनाचूर कर देगा उसका शीशमहलदेवदूत की तरह सो रहा है वहउसे मत जगाओ
अभी वह उछल कर खड़ा हो जाएगासीधे तने वृक्ष की तरहसजग और तैयारकिसी पर भी गोली चला देने के लिए।